हावड़ा के नारायणा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में मनाया गया 'विश्व अंगदान दिवस'



हावड़ा(हिंदूकाल)
देश में हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। मौत के बाद अंगदान करने से कई लोगों की जान बच सकती है। कई लोगों को नया जीवन मिल सकता है। 

इसे ध्यान में रखते हुए इस दिन अंगदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हावड़ा के नारायणा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में विश्व अंगदान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर हॉस्पिटल की तरफ से हृदय प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं को सफल प्रत्यारोपण के बाद उन्हें सम्मानित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। हृदय प्राप्तकर्ता अहसाना खातून और एजाज अहमद मौजूद रहे। हावड़ा के नारायणा सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल में सफल हृदय प्रत्यारोपण के बाद इन दोनों मरीजों का जीवन बदल गया।
इसी प्रकार इस दिन अस्पताल की तरफ से जयप्रकाश महतो और हारून रशीद को भी आमंत्रित किया गया था। बता दें कि जयप्रकाश और हारून को हावड़ा के नारायणा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में ही किडनी दान मिलने के बाद नया जीवन मिला। ऐसे कई अन्य मरीज भी हैं जो मौत के करीब पहुंच गए थे लेकिन समय पर उन्हें अंगदान मिलने पर नया जीवन मिल गया। अंगदान दिवस के मौके पर अस्पताल की तरफ से अंगदान करें पर एक शपथ सत्र का आयोजन किया गया। 
इस मौके पर रोटो की संयुक्त निदेशक और महानगर के एसएसकेएम सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉक्टर अर्पिता राय चौधरी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। इसके अलावा नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ कार्डियक सलाहकार सर्जन डॉक्टर देवाशीष दास ने अंगदान करने वाले और अंगप्राप्त करने वालों के बीच की दूरियों पर चिंता व्यक्त की। इस अवसर पर नारायणा हॉस्पिटल हावड़ा की तरफ से हार्ट ट्रांसप्लांट प्रोटोकॉल का प्रकाशन किया गया। 
सीनियर कंसल्टेंट कार्डियक सर्जरी, नारायण सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, हावड़ा डॉ देवाशीष दास ने कहा कि यह कल्पना करना मुश्किल नहीं है कि परिवारों को कोई उपयुक्त दाता नहीं मिलने और अपनी आंखों के सामने अपने प्रियजनों को खोने पर निराशा का सामना करना पड़ता है। आंकड़ों के अनुसार हर साल लगभग 50,000 मरीजों को हार्ट फेल होने की समस्या होती है। निस्संदेह उनमें से कई को तत्काल हृदय प्रत्यारोपण प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है। हम डॉक्टर के रूप में केवल प्रक्रिया ही कर सकते हैं, लेकिन सही लोगों को इस काम में हमारे साथ हाथ मिलाने के लिए आगे आना चाहिए। हमें ईमानदारी से उस अंतर को देखने की जरूरत है जिसका हम सामना कर रहे हैं और जान गंवा रहे हैं जिसे बचाया जा सकता है।
एक अध्ययन के मुताबिक भारत ने 2019 में अमेरिका के बाद दुनिया में सबसे बड़ी संख्या में प्रत्यारोपण किया है, लेकिन दाता और प्राप्तकर्ता के बीच भारी अंतर एक प्रमुख चिंता का विषय है। सस्ती, प्रत्यारोपण योग्य वेंट्रिकुलर सहायक उपकरणों की कमी के कारण, हृदय प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ता की विशाल प्रतीक्षा सूची के कारण मृत्यु दर बहुत अधिक है। अंग परिवहन एक बहुत बड़ी चुनौती है, शहर और देश दोनों में।
डॉ. बिस्मय कुमार, कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट, नारायण सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, हावड़ा ने कहा कि किडनी फेल्योर की बात करें तो केवल ट्रांसप्लांटेशन प्रक्रिया में डायलिसिस के बाद भी सामान्य जीवन देने की क्षमता होती है, इसे डॉक्टरों के सुझाव के अनुसार चुना जाना चाहिए, लेकिन डोनर की उपलब्धता की कमी से बाधा उत्पन्न होती है। एक अध्ययन के अनुसार हर साल लगभग 1.8 लाख रोगियों को गुर्दे फेलियर होने की पुष्टि होती है, लेकिन केवल लगभग 6000 गुर्दा प्रत्यारोपण ही किए जाते हैं। इस तथ्य के बावजूद कि हम दूसरी सबसे बड़ी संख्या में प्रत्यारोपण करते हैं, दाता और प्राप्तकर्ताओं के बीच यह बड़ा अंतर एक प्रमुख चिंता का विषय है। 
इस जीवन रक्षक कारण को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक जागरूकता फैलाई जानी चाहिए। एक व्यक्ति जीवित रहते हुए अपनी दो किडनी में से एक को दान कर सकता है और स्वस्थ सामान्य जीवन जी सकता है, उसी तरह एक जीवित व्यक्ति द्वारा यकृत का एक हिस्सा दान किया जा सकता है। मृत दाता द्वारा फेफड़े और हृदय जैसे अंग दान किए जाते हैं। मेल खाने वाले दाताओं के नेटवर्क को और मजबूत किया जाना चाहिए, और अधिक से अधिक लोगों को हिस्सा लेना चाहिए।
अपने दिल के प्रत्यारोपण के एक साल बाद, अहसाना खातून ने अपनी कहानी व्यक्त करते हुए कहा कि यह सब सांस की तकलीफ के बार-बार होने के साथ शुरू हुआ और अचानक मेरेे जीने की कोई उम्मीद नहीं थी। लेकिन मुझे हृदय दान करने के लिए मैं दिवंगत पवित्र आत्मा की बहुत आभारी हूं। मैं एनएसएच, हावड़ा के डॉक्टरों और कर्मचारियों की आभारी हूं जिन्होंने इसे संभव बनाया। यह केवल एक "दान किए गए अंग" के कारण है कि आप सभी मुझे आज यहां देख सकते हैं। मेरे जैसे लोग अंग प्रत्यारोपण की क्षमता का जीवंत उदाहरण हैं। इसे यथासंभव प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
प्रतीक जैन, फैसिलिटी डायरेक्टर, नारायण हेल्थ, हावड़ा ने कहा कि हमारे डॉक्टरों ने सही उल्लेख किया है कि कैसे सही डोनर की उपलब्धता एक मरीज के जीवन को प्रभावित करती है, हमें अपने अंगों को दान करने और किसी के जीवन को बचाने का संकल्प लेना चाहिए। कोलकाता के नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में की गई सफल प्रत्यारोपण प्रक्रियाएं लोगों को इसपर विचार करने के लिए मार्गदर्शन कर रही हैं। साथ ही, एनएसएच, हावड़ा में उन्नत उपचार और अनुभवी कुशल डॉक्टरों की टीम अपने मरीजों की मदद के लिए हमेशा तैयार है।

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