रमजान महीने में चुनाव होने पर मेयर फिरहाद हाकिम ने उठाया सवाल

हिन्दुकाल

 कोलकाता, 11 मार्च 2019:
लोकसभा चुनाव की तारीखें रविवार को घोषित कर दी गईं। इस तारीखों की घोषणा होने के साथ ही एक नया विवाद सामने आया है। तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में वोटिंग की तारीखें रमजान के महीने में पड़ रही हैं। ऐसे में मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाया है। इतना ही नहीं, उन्होंने इन तारीखों में बदलाव की मांग की है।  कोलकाता के मेयर और तृणमूल कांग्रेस के मंत्री फिरहाद हाकिम ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है और हम उसका सम्मान करते हैं। हम चुनाव आयोग के खिलाफ कुछ नहीं कहना चाहते, लेकिन सात फेज में होने वाले चुनाव बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए कठिन होंगे। इतना ही नहीं, इन चुनावों में सबसे ज्यादा परेशानी मुस्लिमों को होगी क्योंकि वोटिंग की तारीखें रमजान के महीने में रखी गई हैं। वहीं बीजेपी नेता और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र और संवैधानिक संस्था है। यदि किसी को तारीखों पर आपत्ति है तो वह चुनाव आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। उन्होंने कहा, ‘रही बात रमजान में वोटिंग की तो आयोग ने मतदान के लिए 8 घंटे का समय रखा है। इस बीच कभी भी जाकर मतदान किया जा सकता है। विपक्षी दल चुनाव में हार के डर से अभी से बहाने ढूंढने लगे हैं।’ टीएमसी नेता ने कहा कि तीनों राज्यों (यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल) में अल्पसंख्यकों की आबादी बहुत ज्यादा है। मुस्लिम रोजा रखेंगे और अपना वोट भी डालेंगे यह बात चुनाव आयोग को ध्यान में रखनी चाहिए। फिरहाद हाकिम ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चाहती है कि अल्पसंख्यक अपना वोट न डाल पाएं लेकिन हम चिंतित नहीं हैं। लोग अब बीजेपी हटाओ-देश बचाओ के लिए प्रतिबद्ध हैं। वहीं दूसरी ओर इस्लामिक स्कॉलर, लखनऊ ईदगाह के इमाम और शहरकाजी मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने भी चुनावों की इन तारीखों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से निवेदन किया है कि इन तारीखों को रमजान से पहले या फिर ईद के बाद रखा जाए। फिरंगी महली ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने यूपी में 6,12 और 19 को भी वोट डालने का कहा है। जबकि 5 मई की रमजान मुबारक का चांद दिख सकता है 6 से रमजान का मुबारक महीना शुरू होगा। तीनो तारीखें रमजान के महीने में पड़ेंगी जिससे मुसलमानों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।’ उन्होंने कहा कि वह चुनाव आयोग से गुजारिश करते हैं कि चुनाव की तारीखें रमजान से पहले या ईद के बाद रखें ताकि ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम वोट डालने निकलें और उन्हें कोई परेशानी न हो। लखनऊ के शहर काजी और मुफ्ती अबुल इरफान ने कहा, ‘पांच मई को मुसलमानों के सबसे पवित्र महीना रमजान का चांद देखा जाएगा। चांद दिख जाता है तो छह मई को पहला रोजा होगा। रमजान के दौरान भयंकर गर्मी होगी। ऐसे में रोजेदारों को वोट डालने के लिए घरों से निकलने में दिक्कत होगी। इससे वोट का प्रतिशत भी घटेगा। हम हमेशा लोगों से वोट ज्यादा से ज्यादा डालने की अपील भी करते हैं। लेकिन इस दौरान यह मुनासिब नहीं हो पाएगा। चुनाव आयोग इस बात का ख्याल रखते हुए तिथियों को बदल दे। यह हमारी उनसे मांग है।’ छह मई, 12 मई व 19 मई को मतदान की घोषणा की गई है जिस दौरान रमजान चल रहे होंगे। इस दौरान तापमान काफी अधिक होता है। इन तारीखों को बदल कर कुछ और चुन लें जिससे मुस्लिमों को सहूलियत हो जाएगी। शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने कहा कि आयोग को रमजान की तारीख को ध्यान में रख कर घोषणा करनी चाहिए थी। वोट डालने के लिए लोगों को घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता है। ऐसे में रोजेदारों को गर्मी में मुश्किल होगी। ऐसे में मुस्लिमों की तादात भी वोट डालने से वंचित रह जाएगी। लोकतंत्र के इस पर्व का उत्साह भी फीका हो जाएगा। इसलिए हमारी गुजारिश है कि चुनाव आयोग इन तारीखों को बदल दें।

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