अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगांग अपांग ने भाजपा से दिया इस्तीफा



अरुणाचल प्रदेश, 16 जनवरी 2019: अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता गेगांग अपांग ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तापिर गाओ और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को सौंप दिया है। इस्तीफे के बाद गाओ ने ट्वीट पर लिखा कि- मैं सात बार विधायक रह चुका हूं और राज्य का 23 साल का मुख्यमंत्री रह चुका हूं। मैंने राज्य के लिए भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता- इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वी.पी सिंह, आईके गुजराल, एचडी देवगौड़ा, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के साथ काम किया। आगे उन्होंने लिखा- बतौर प्रधानमंत्री, वह एकता में विश्वास रखते थे। वाजपेयी जी हमारे देश के महान डेमोक्रेट थे। उन्होंने हमेशा मुझे स्वर्णिम सिद्धांत राजधर्म याद दिलाया। आज मैं राजधर्म का ही पालन कर रहा हूं। 2014 में, अरुणाचल प्रदेश में जनता ने पार्टी को बहुमत नहीं दिया, लेकिन भाजपा सरकार ने कलिखो पुल को सत्ता से बाहर करने के लिए खराब रणनीति का इस्तेमाल किया, जिससे भाजपा दोबारा सत्ता में आ सके। मालूम हो कि गेगांग अपांग लगभग 22 वर्षों तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। भारत में दूसरे सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले कांग्रेस नेता गेगांग अपांग ने फरवरी 2014 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। गेगांग ऐसे वक्त इस्तीफा दिए जब अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव होने हैं।
आज अटल पथ भूल चुकी है पार्टी
अपांग ने 10-11 नवंबर को हुई राज्यस्तरीय कार्यकारिणी की बैठक का भी जिक्र किया और कहा कि इस दौरान भाजपा महासचिव राम माधव ने कई सदस्यों और पदाधिकारियों को अपने विचार तक नहीं रखने दिए थे। 15 जनवरी को भाजपा छोड़ते हुए अपांग ने कहा कि आज अटल पथ भूल चुकी है पार्टी। उनकी राजनीतिक दर्शन का छात्र होने के नाते मैं आज भी उसका अनुपालन करने की कोशिश करता हूं। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि अटल जी ने एक बार कहा था कि सत्‍ता के लिए राजनीतिक विचारधारा के साथ समझौता करने से बेहतर सियासी बियाबान में रहना है। लेकिन पार्टी अब सत्ता की तलाश करने का मंच है। यह ऐसे नेतृत्व में है जो विकेंद्रीकरण और लोकतांत्रिक फैसले लेने की प्रक्रिया को पसंद नहीं करते हैं। उन्होंने आगे लिखा कि अब यहां उन मूल्यों को कोई नहीं मानता है जिनके लिए पार्टी की स्थापना हुई थी।

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