लोकसभा में तीन तलाक बिल पेश, विपक्ष का हंगामा

नई दिल्ली, 27 दिसंबर 2018:

विपक्षी पार्टियों के विरोध के चलते लंबे अरसे से अटका तत्काल तीन तलाक विधेयक आज लोकसभा से पारित हो सकता है. हालांकि, इसके सर्वसम्मति से पारित होने की उम्मीद कम है. कांग्रेस कुछ सवालों के साथ इसका समर्थन कर सकती है, जबकि तृणमूल कांग्रेस का विरोध कायम रह सकता है. भाजपा और कांग्रेस ने अपने सांसदों को संसद में मौजूद रहने के लिए व्हिप किया. लोकसभा में सरकार के बहुमत को देखते हुए माना जा रहा है कि आज यह विधेयक पारित हो जाएगा.
– लोकसभा में ट्रिपल तलाक बिल पर चर्चा में भाग ले रहे हैं केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी.
– एआईएडीएमके के अंवर राजा ने कहा कि भारत में शिक्षा और पिछड़ेपन के लिए तमाम सर्वे किए गए हैं, लेकिन किसी भी स्टडी में ट्रिपल तलाक को मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन का कारण नहीं माना गया, इसलिए बिल की कोई जरूरत नहीं है. इस बिल से महिलाओं का कुछ भला नहीं होगा, बल्कि वे कमजोर हो जाएंगी. यह बिल मौलिक अधिकारों का हनन है, इससे मुस्लिम मर्दों का शोषण होगा और उनके परिवार बिखर जाएंगे.
– मीनाक्षी लेखी ने कहा कि हिंदुओं के कानूनों को जो लोग हवाला दे रहे हैं उन्हें पता होना चाहिए कि 1955 के कानून से पहले हिंन्दुओं में तलाक होता ही नहीं था.
– भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि जो लोग सबरीमाला का शोर मचा रहे हैं उन्हें बताना चाहती हूं कि सबरीमाला का मामला बिल्‍कुल अलग है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस बात को माना है. कुरान में तीन तलाक़ का कोई भी उल्लेख और प्रावधान नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गैरसंवैधानिक माना है.
– रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘ये बिल किसी समुदाय, धर्म या उसकी आस्था के खिलाफ नहीं है. यह बिल महिलाओं के अधिकारों और उन्हें न्याय दिलाने के लिए है. प्रसाद ने पूछा कि अभी तक दुनिया के 20 इस्लामिक देश तीन तलाक पर रोक लगा चुके हैं तो भारत जैसा सेक्युलर देश क्यों नहीं लगा सकता?. प्रसाद ने कहा कि इस बिल पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
– तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंधोपाध्याय ने लोकसभा में कहा, ‘हम भी ट्रिपल तलाक बिल को संयुक्त सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने का आग्रह करते हैं. समूचा विपक्ष यही चाहता है.’
– कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्रिपल तलाक बिल पर लोकसभा में कहा, ‘यह बेहद अहम बिल है, जिस पर विस्तृत अध्ययन किया जाने की ज़रूरत है. यह संवैधानिक मामला भी है. इसीलिए अनुरोध करता हूं कि बिल को संयुक्त सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए.’
– दोपहर बाद सदन की कार्यवाही शुरू हो गई. जिसके बाद तीन तलाक बिल पर बहस हो रही है. फिलहाल, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद बिल के पक्ष में दलील दे रहे हैं.
– हंगामा कम नहीं हुआ, जिसके बाद सदन को फिर से 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
– सुबह सदन की कार्यवाही शुरू हुई, लेकिन हंगामे के चलते स्पीकर ने लोकसभा को 12 बजे तक स्थगित कर दिया गया.
तीन तलाक विधेयक राजनीतिक रूप से भी बहुत अहम है. भाजपा इसके जरिए महिलाओं की बराबरी के मुद्दे को ऊपर रखना चाहती है. वहीं पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की मदद करने के लिए जमीनी स्तर पर महिला मोर्चा और युवा मोर्चा को तैनात किया गया है. इसे मुस्लिम महिलाओं को अपने पक्ष में करने की कवायद के रूप में भी देखा जा रहा है. वहीं कुछ विपक्षी दलों के लिए यह मुश्किल का सबब बन गया है, क्योंकि उन्हें आशंका है कि इससे मुस्लिम वोट बैंक छिटक सकता है. यही कारण है कि पहले लोकसभा से पारित होने के बावजूद राज्यसभा में वह अटक गया था, जहां राजग का बहुमत नहीं है. सितंबर में सरकार को अध्यादेश लाकर तत्काल तीन तलाक को गैरकानूनी करार देना पड़ा था. इसमें तत्काल तीन तलाक देने वाले पुरुष के लिए तीन साल की सजा का प्रावधान भी है. उसी अध्यादेश की जगह लेने के लिए 17 दिसंबर को लोकसभा में विधेयक पेश किया गया था. माना जा रहा था कि विपक्ष राजनीतिक परिणाम को देखते हुए इस बार खुले दिल से इसका समर्थन करेगा. लेकिन, सदन में विधेयक पेश होते वक्त इसका विरोध कर कांग्रेस ने जता दिया था कि वह कुछ संशोधनों की मांग करेगी. दरअसल, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल सजा के प्रावधान के खिलाफ हैं. पिछली बार गैर जमानती गिरफ्तारी का भी प्रावधान था, जिसे इस बार हटा दिया गया है. इसके बावजूद तृणमूल कांग्रेस की ओर से इसका समर्थन किए जाने की उम्मीद कम है. पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की बड़ी संख्या है और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी इसका विरोध करता रहा है.

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