5 साल में बैंकिंग व्यवस्था तबाही की ओर



आल इंडिया बैंक आफिसर्स कंफेडरेशन की पश्चिम बंगाल इकाई का कहना है कि बीते पांच साल के दौरान केंद्र सरकार की नीतियों के कारण बैंकिंग व्यवस्था चरमरा गई है जिसका असर देश के आम लोगों पर पड़ रहा है। संगठन के सचिव संजय दास, अध्यक्ष शुभोज्योति चट्टोपाध्याय के साथ ही दूसरे पदाधिकारियों में विश्वरंजन घोष, मलय चौधरी, सबुज मिस्त्री ने बैंकिंग व्यवस्था और देश पर पड़ने वाले असर के बारे में पत्रकारों को बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि छह महीने से प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, वित्त मंत्री से लेकर देश के तमाम उच्चाधिकारियों को समस्या के बारे में अवगत करने का प्रयास किया गया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद 21 और 26 दिसंबर को बैंक हड़ताल करने का फैसला किया गया है। हालांकि इसके पहले राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, माकपा नेता सीताराम येचुरी समेत देश के विभिन्न राजनीति दल के नेताओं के साथ मुलाकात और ज्ञापन देकर लोकसभा में इस मुद्दे को उठाने की मांग की गई है।
उन्होंने बताया कि बैंकों से कर्ज लेकर वापस नहीं देने का मामला (एनपीए) सबसे गंभीर है। करीब 10 लाख करोड़ रुपए एनपीए के तौर पर खराब कर्ज घोषित किए जा चुके हैं। इसमें 25 फीसद हिस्सा सिर्फ 12 बड़े कारपोरेट समूह का है। यह राशि करीब दो लाख 60 हजार करोड़ है। एनपीए खाताधारी लोगों की सूची सार्वजनिक की जानी चाहिए और बकाया कर्ज कठोरता से वसूल किया जाना चाहिए जिससे बैंक आर्थिक तौर पर सुदृढ़ हो सकें। बीते पांच सालों के दौरान छोटा कर्ज लेने वालों की संख्या कम हुई है, जबकि बड़े कर्ज लेने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में बैंक की शाखाएं खोलना बंद हो गया है। बैंकों के विलय के नाम पर सिर्फ गुजरात में ही 1000 शाखाएं बंद कर दी गई हैं, जबकि एसबीआइ के विलय के कारण देश में करीब 1500 शाखाएं बंद हुई हैं। इसके हजारों लोगों के रोजगार के अवसर तो कम हुए ही हैं, देश के आम लोगों को कर्ज देने का काम भी प्रभावित हुआ है। इलाहाबाद, यूबीआई समेत तीन बैंकों के विलय की कोशिश की जा रही है, अगर ऐसा हुआ तो ग्रामीण इलाकों की 950 बैंक शाखाएं बंद हो जाएंगी। 
दूसरी ओर, बैंक कर्मचारियों का वेतनमान एक से लेकर सात लेवल तक है, उसे एक से लेकर तीन और चार से लेकर सात तक अलग-अलग किया जा रहा है। चार से लेकर सात लेवल में काम करने वाले कर्मचारियों को 70 फीसद फिक्सड वेतन मिलेगा, लेकिन 30 फीसद वेतन उनके कामकाज के आधार पर तय किया जाएगा। बैंकों का मानना है कि इससे हर किसी को पकड़ कर कर्ज देने, बैंक की दूसरी पालसियां देने में होड़ लग जाएगी। नतीजा यह होगा कि गलत काम को बढ़ावा मिलेगा, जिससे एनपीए की राशि में और ज्यादा वृद्धि होगी।
कोलकाता, 19 दिसम्बर 2018:

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