मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट



बेंगलुरु, 25 सितम्बर 2018:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया है। यह नॉमिनेशन तमिलनाडु में बीजेपी की प्रदेश अध्यक्ष डॉ। तमिलीसाई सुंदरराजन ने किया है। नॉमिनेशन में कहा गया है कि पीएम मोदी ने आयुष्मान भारत योजना के रूप में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना की शुरुआत की है। इसके लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए। यह नॉमिनेशन सुंदरराजन के पति ने किया है। वे एक निजी विश्वविद्यालय में नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पैदा हुए बच्चे को बीजेपी की तमिलनाडु इकाई ने सोने की अंगूठी उपहार में दी थी। पार्टी की प्रदेश इकाई की अध्यक्ष टी सुंदरराजन ने मध्य चेन्नई के पुरासैवक्कम में स्थित सरकारी पीएचसी में नवजात को सोने की अंगूठी दी। उन्होंने केंद्र में पिछले कुछ दिनों में जन्मे अन्य नवजातों को भी अन्य उपहार दिए। सुंदरराजन ने कहा कि पार्टी ने घोषणा की थी कि पीएचसी में जन्म लेने वाले सभी शिशुओं को सोने की अंगूठी उपहार में दी जाएगी। हालांकि केंद्र में केवल एक ही बच्चे का जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि मैंने एक बच्चे को एक सोने की अंगूठी दी। हमने स्वास्थ्य केंद्र के अन्य 17-18 नवजातों को उपहार दिए हैं। अमीर स्‍वीडिश उद्योपति और डायनामाइट के आविष्‍कारक अल्‍फ्रेड नोबल ने इन पुरस्‍कारों की स्‍थापना की थी। यह पुरस्‍कार चिकित्‍सा, भौतिकी, रसायन विज्ञान, साहित्‍य तथा शांति के लिए दिया जाता है। सबसे पहला नोबल 1901 में नोबल की मौत के पांच वर्ष बाद दिया गया था। अल्‍फ्रेड नोबल की स्‍मृति में ही इकोनॉमिक अवॉर्ड बैंक ऑफ स्‍वीडन की ओर से दिया जाता है। इसकी शुरुआत 1968 में हुई थी। नोबल पुरस्‍कार के लिए दुनिया भर में प्रविष्ठियां आती हैं। इसमें विश्‍वविद्यालयों के प्रोफेसर, वकील, कानून निर्माता, पूर्व में नामित हो चुके लोग तथा पुरस्‍कार प्राप्‍त कर चुके लोग भी शामिल होते हैं। यहां तक कि समिति में शामिल लोग भी अपना नाम पुरस्‍कार के लिए दे सकते हैं। बहुत कम लोगों ने इस बात पर ध्‍यान दिया होगा कि नोबल का शांति पुरस्‍कार नॉर्वे में दिया जाता है, जबकि शेष सभी पुरस्‍कार स्‍वीडन में दिए जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि यह अल्‍फ्रेड नोबल की इच्‍छा थी। हालांकि यह तो कोई नहीं जानता है कि वो ऐसा क्‍यों चाहते थे। गौरतलब है कि 1905 से पहले तक स्‍वीडन और नॉर्वे एक ही संघ का हिस्‍सा थे जो बाद में अलग-अलग हो गए थे। अबतक भारत में मदर टेरेसा और कैलाश सत्यार्थी को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिले हैं। इसके अलावा साहित्य के क्षेत्र में रविंद्र नाथ टैगोर, भौतिकी के क्षेत्र में डॉक्टर सीवी रमन, अर्थशास्त्र में अमर्त्य सेन को भी नोबेल पुरस्कार मिल चुका है।

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