नफरत का जवाब प्यार से दिया - राहुल गांधी का कहना

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को जर्मनी पहुंचे और वहां से मोदी सरकार पर करारा हमला बोला।इससे पहले उन्होंने जर्मनी के राज्यमंत्री व सांसद नील्स अन्नेन से मुलाकात की और कई मुद्दों पर चर्चा की। बुधवार रात जर्मनी के हैम्बर्ग स्थित बूसेरियस समर स्कूल में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी के जरिए हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था को तबाह करके रख दिया। साथ ही उन्होंने पीएम को गले लगाने पर कहा कि नफरत का जवाब नफरत से देना मूर्खता है।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी ने एमएसएमई के नकद प्रवाह को बर्बाद कर दिया और अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लाखों लोग बेरोजगार हो गए। बड़ी संख्या में छोटे व्यवसायों में काम करने वाले लोगों को वापस अपने गांव लौटने को मजबूर होना पड़ा। इससे लोग काफी नाराज़ हैं। लिंचिंग के बारे में जो कुछ भी हम सुनते हैं, वो इसी का परिणाम है। 
जर्मनी में राहुल गांधी ने कहां की अगर भारत में हम सभी लोगों को रोजगार दे पाते हैं, तो जनसंख्या अपने आप में कोई समस्या नहीं है। अगर चीन से प्रतिस्पर्धा करनी है, तो भारत को छोटे और मध्यम बिजनेस को प्रोत्साहित करना होगा।
एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि अमेरिका के साथ भारत के अहम सामरिक संबंध हैं और  हम उनके साथ लोकतंत्र जैसे कुछ विचार साझा करते हैं। हालांकि भारत इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकता है कि चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है और वह भविष्य में प्रभावी भूमिका निभाएगा। ऐसे में भारत को दोनों देशों के बीच संतुलन बनाना होगा। इसको संतुलित करने में भारत और यूरोप की भूमिका होगी।
मोदी को गले लगाने पर राहुल गांधी ने कहा कि मैंने उनको गले लगाकर नफरत का जवाब प्यार से दिया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में लोगों को नफरत की बजाय चर्चा करनी चाहिए। नफरत फैलाने वाले भाषण और राजनीति करने के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि भारतीय का मतलब ही अहिंसक है। 'अहिंसा भारत का दर्शन है और भारतीय होने का सार है। मेरे खिलाफ पीएम मोदी नफरत फैलाने वाली टिप्पणियां कर रहे हैं। मैंने उनके प्रति स्नेह दिखाया। हालांकि मोदी को गले लगाने का कदम मेरी पार्टी के कुछ सदस्यों को पसंद नहीं आया। मैं इस पर उनसे असहमत हूं।' उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में नोटबंदी का फैसला किया और एमएसएमई के नकद प्रवाह को बर्बाद कर दिया, अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लाखों लोग बेरोजगार हो गए। बड़ी संख्या में छोटे व्यवसायों में काम करने वाले लोगों को वापस अपने गांव लौटने को मजबूर होना पड़ा। इससे लोग काफी नाराज़ हैं। लिंचिंग के बारे में जो कुछ भी हम सुनते हैं, वो इसी का परिणाम है। 
राहुल गांधी ने कहा कि अगर भारत को इस जोखिम भरे बदलाव से गुज़रना पड़ा, तो हम चाहते थे कि सभी समुदायों और भाषाओं को इस बदलाव में शामिल किया जाए। रोजगार गारंटी योजना, भोजन का अधिकार, सूचना का अधिकार, बैंकों का राष्ट्रीयकरण ये कुछ ऐसे विचार थे, जो सभी सरकारें करना चाहती हैं, लेकिन अब ये विचार काफी हद तक नष्ट हो गए हैं। दलितों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों को अब सरकार से कोई फायदा नहीं मिलता है। उनको फायदा देने वाली सारी योजनाओं का पैसा चंद बड़े कॉर्पोरेट के पास जा रहा है।
भारत में कोई कहीं पर जा सकता है, लेकिन चीन में कौन कहां जाएगा, इसका फैसला वहां की कम्युनिस्ट सरकार करती है। हमारे भारत देश में विभिन्न संस्कृति, भाषा और धर्म हैं। और अब ये देश बदल रहा है। इस बदलाव में सबसे ज्यादा निचले तबके के लोग प्रभावित होते हैं।ये बदलाव जाति आधारित सोच को खत्म कर रहा था और ‘एक व्यक्ति, एक मत’ के विचार को बढ़ावा दे रहा था।  ऐसे में उनको सहयोग करने की जरूरत होती है। भारत में मनरेगा के जरिए लोगों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई।
महिला को समान अधिकार देने के सवाल पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जब मैं संसद और राजनीतिक दलों को देखता हूं, तो वहां महिला प्रतिनिधि काफी कम दिखाई देती हैं। हम महिला आरक्षण के लिए विधेयक लेकर आए हैं, लेकिन ये पूरी तरह से सामाजिक मुद्दा है। यदि हम महिलाओं को शामिल नहीं करते हैं, तो  देश का निर्माण नहीं कर सकते। भारतीय पुरुषों को महिलाओं को अपने बराबर देखना होगा।
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