देश के 91 प्रमुख जलाशयों का जलस्तर 18 प्रतिशत रहा



नई दिल्ली, 22 जून 2018:

21 जून, 2018 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 29.668 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 18 प्रतिशत है। यह प्रतिशत 14 जून, 2018 को समाप्त सप्ताह के समान स्तर पर था। 21 जून, 2018 को समाप्त सप्ताह के दौरान यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 101 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 99 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 161.993 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 257.812 बीसीएम का लगभग 63 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।
■ क्षेत्रवार संग्रहण स्थिति
● उत्तरी क्षेत्र
उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं। 21 जून, 2018 को जारी जलाशय संग्रहण बुलेटिन के अनुसार इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 2.83 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 16 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 25 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 28 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कमतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण की तुलना में भी कमतर है।

● पूर्वी क्षेत्र
पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। 21 जून, 2018 को जारी जलाशय संग्रहण बुलेटिन के अनुसार इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 3.47 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 18 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 16 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 16 प्रतिशत था। इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए संग्रहण से बेहतर है और पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।

● पश्चिमी क्षेत्र
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 31.26 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। 21 जून, 2018 को जारी जलाशय संग्रहण बुलेटिन के अनुसार इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 3.95 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 13 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 18 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 17 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कमतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण की तुलना में भी कमतर है।

● मध्य क्षेत्र
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। 21 जून, 2018 को जारी जलाशय संग्रहण बुलेटिन के अनुसार इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 8.99 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 21 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 29 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 18 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कमतर है, लेकिन पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से बेहतर है।
● दक्षिणी क्षेत्र
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। 21 जून, 2018 को जारी जलाशय संग्रहण बुलेटिन के अनुसार इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 10.43 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 20 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 8 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 17 प्रतिशत था। इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए संग्रहण से बेहतर है, लेकिन पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौन रहे औसत संग्रहण से भी बेहतररा है।
- अर्चना साव

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