
बलिया। रेलवे स्टेशन के दोनों परिसर व प्लेटफाॅर्म को जोड़ने वाले 12 मीटर चौड़े फुटब्रिज के निर्माण में तेजी आई है। ब्रिज का लोहे का गार्डर तैयार करने में मजदूर दिन रात लगे हैं। दोनों परिसर व प्लेटफाॅर्म संख्या दो व तीन के बीच लोहे के पिलर खड़े हो गए हैं। लोहे के गार्डर लॉन्चिंग की तैयारी चल रही है। नवंबर तक काम पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे यात्रियों को सहूलियत मिलेगी।
शहर के बीचोबीच रेलवे स्टेशन होने से दो हिस्से में बंटा है। स्टेशन के दक्षिण हिस्से में मुख्य बाजार और उत्तरी क्षेत्र सिविल लाइन जिसमें सभी सरकारी कार्यालय व दो बड़े काॅलेज हैं। रोज तीन से चार हजार लोग गेट संख्या दो के फुटब्रिज से पैदल एक तरफ से दूसरी तरफ आते जाते थे। फुटब्रिज पूरब छोर पर होने के कारण कुछ लोग ट्रैक पार कर आते जाते हैं। इससे दुर्घटना का डर बना रहता है। फुटब्रिज के लिए तीन पिलर बनकर तैयार है। बजट के अभाव में गार्डर का काम रुक गया था। डीआरएम के निरीक्षण के दौरान ठेकेदार को फटकार लगने के बाद निर्माण कार्य में तेजी आई है। अधिकारियों की मानें तो आने वाले दो माह में काम पूरा हो जाएगा। स्टेशन अधीक्षक सुनील सिंह ने बताया कि फुटब्रिज का निर्माण तेजी से चल रहा है। दो माह में काम पूरा हो जाएगा। वाराणसी की तर्ज पर तीन करोड़ रुपये में तैयार हो रहे 12 मीटर चौड़े फुटब्रिज से प्लेटफाॅर्म संख्या एक, दो तीन पर एक्सलेटर भी बनेगा। दूसरे परिसर में तैयार हो रहे दो मंजिला भवन का प्रथम तल से सीधा जुड़ाव होगा। यात्रियों को काफी सहूलियत मिलेगी।
1883 में लंदन की कंपनी ने बनाया था पहला ब्रिज
छपरा-वाराणसी के बीच बलिया रेलवे स्टेशन पर वर्ष 1883 में लंदन की कंपनी बीएंड एनडब्लूआर वेस्टवुड बेली एंड कंपनी इंजीनियर्स एंड कंस्ट्रक्शन ने पहला रेल ओवरब्रिज प्लेटफाॅर्म एक पर बनाया था। बाद में इसे दो नंबर से जोड़ा गया। कुछ वर्षों बाद ब्रिटिश हुकूमत के दौरान ही कर्मचारियों व यात्रियों को सर्कुलेटिंग एरिया में आने के लिए दूसरा फुटब्रिज बनाया गया जो किसी प्लेटफॉर्म से कनेक्ट न कर सर्कुलेटिंग एरिया से उत्तरी परिसर (महुआ मोड़) से जुड़ा था। दोहरीकरण और विद्युतीकरण के दौरान प्लेटफाॅर्म संख्या चार के निर्माण के दौरान दूसरे पुल को तोड़ दिया गया।