
1 सितंबर, 2025 को एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि सभी शिक्षकों को अपनी नौकरी बनाए रखने के लिए टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।सोशल मीडिया के माध्यम से इस अचानक आए फैसले के बारे में जानने के बाद, राज्य भर के लगभग 3-4 लाख और देश भर के लगभग 40-50 लाख शिक्षक घबरा गए हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 26 अगस्त, 2010 में पूरे देश में लागू हुआ। एनसीटीई के दिशानिर्देशों के अनुसार, 26 अगस्त, 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए टीईटी परीक्षा देना अनिवार्य नहीं है और 2015 के संशोधन में भी टीईटी में इस अनिवार्य उपस्थिति का उल्लेख नहीं किया गया है। हमारा उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट का विरोध करना नहीं है, लेकिन मैं कार्तिक प्रसाद एक शिक्षक के नाते इस गलत फैसले के लिए केंद्र सरकार और एनसीटीई को जिम्मेदार ठहराने के साथ इस फैसले में सुधार की मांग करता हूँ। देश भर के सभी शिक्षकों को एक मंच पर आने का अनुरोध करता हूं। हमलोग अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे। जिसकी शुरुआत बाली चक्र से होगा।
