30 साल पहले भाजपा में शामिल हुए थे शत्रिघ्न सिन्हा

नई दिल्ली, 7 अप्रैल 2019:

बॉलिवुड के मशहूर ऐक्टर शत्रुघ्न सिन्हा लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहे हैं। लगभग 30 साल पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। साथ ही उन्होंने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर हमला भी बोला। गौरतलब है कि शत्रुघ्न को राजनीति में लाने वाले लालकृष्ण आडवाणी खुद भी इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। आइए, एक नजर डालते हैं शत्रुघ्न सिन्हा के अबतक के राजनीतिक करियर पर। शत्रुघ्न सिन्हा बॉलिवुड में ‘शॉटगन’ के नाम से मशहूर हैं। 1980 के दशक में वह अपनी फिल्मों और उसमें अभिनय को लेकर काफी लोकप्रिय हुए। 1991 के लोकसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर और नई दिल्ली दो सीटों से चुनाव जीते। लालकृष्ण आडवाणी ने बॉलिवुड सुपरस्टार राजेश खन्ना को नई दिल्ली सीट पर दो हजार से भी कम वोटों के अंतर से चुनाव हराया। नियमों के मुताबिक, जब एक सीट छोड़ने की बात आई तो आडवाणी ने गांधीनगर को अपने पास रखा और 1992 में नई दिल्ली के उपचुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को उतार दिया। कांग्रेस ने फिर से राजेश खन्ना को ही चुनाव में उतारा। शत्रुघ्न सिन्हा के इस सीट पर उतरने से ही राजेश खन्ना उनसे नाराज हो गए। सिन्हा ने उन्हें कड़ी टक्कर दी लेकिन आखिरकार राजेश खन्ना उपचुनाव में करीब 27 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल करने में कामयाब हुए। इस तरह, अपने पहले चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा को हार का मुंह देखना पड़ा। शत्रुघ्न सिन्हा ने इस बारे में खुद ही बताया कि उनके चुनाव लड़ने से राजेश खन्ना उनसे बुरी तरह नाराज हो गए। इस बात का शत्रुघ्न सिन्हा को हमेशा अफसोस भी रहा कि उन्होंने एक दोस्त को नाराज कर दिया। 2012 तक राजेश खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच चीजें ठीक नहीं हो पाईं।


 इस चुनाव के बाद शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी के स्टार प्रचारकों में शामिल हो गए। जगह-जगह उन्हें बुलाया जाने लगा। अटल बिहारी वाजयेपी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने शत्रुघ्न को खूब महत्व दिया और इसका फायदा पार्टी को समय-समय पर मिलता रहा। 1996 में बिहार से बीजेपी ने शत्रु को राज्यसभा भेजा। कार्यकाल खत्म होने पर शत्रुघ्न दोबारा राज्यसभा पहुंचे। अटल बिहार वाजपेयी ने शत्रुघ्न की मेहनत का फल उनको दिया और 2002 में उन्हें अपनी सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बनाया। हालांकि, 2003 में उनका मंत्रालय बदलकर उन्हें जहाजरानी मंत्री बनाया गया। 2004 में कांग्रेस सत्ता में आई और शत्रुघ्न का मंत्री पद गया लेकिन वह बीजेपी के साथ डटे रहे और जमकर उसके लिए प्रचार किया।  2009 में आडवाणी ने शत्रुघ्न सिन्हा को बिहार की पटना साहिब सीट से लोकसभा चुनाव में उतारा। शत्रुघ्न ने यहां से राष्ट्रीय जनता दल के विजय कुमार को 1,66,700 वोटों के अंतर से हरा दिया। इसी सीट पर कांग्रेस के टिकट पर उतरे टीवी कलाकार शेखर सुमन को मात्र 60,000 वोट मिले थे। हालांकि, 2009 में बीजेपी सत्ता में नहीं आ पाई और यूपीए-2 की सरकार बनी।  2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी पर आडवाणी का कंट्रोल कम होने लगा था और नरेंद्र मोदी की पकड़ मजबूत होती जा रही थी। वर्तमान में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद भी पटना साहिब से लड़ना चाहते थे लेकिन बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने शत्रुघ्न का दावा कमजोर नहीं होने दिया और उन्हें फिर से टिकट दिला दिया। शत्रुघ्न ने अपने हमदर्दों का भरोसा कायम रखा और भोजपुरी फिल्मों के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले कांग्रेस कैंडिडेट कुनाल सिंह को 2,65,805 वोटों से हराया।  शत्रुघ्न को उम्मीद थी कि इस बार वह भी मंत्री बनेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यहां तक कि काफी वरिष्ठ हो चुके नेताओं मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी को भी मोदी के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। यहीं से शत्रुघ्न की नाराजगी का दौर शुरू हो गया। गाहे-बगाहे वह मोदी और उनकी टीम पर हमला करते नजर आए। कथित तौर पर मोदी-शाह की जोड़ी से नाराज बीजेपी के एक गुट में शत्रुघ्न भी गिने जाने लगे। धीरे-धीरे शत्रुघ्न विपक्षी पार्टियों के साथ नजर आने लगे। शत्रुघ्न नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी कहे जाने वाले अरविंद केजरीवाल के साथ सार्वजनिक मंचों पर नजर आए और अपनी ही पार्टी पर खुलकर हमला बोला। बीजेपी ने भी शत्रुघ्न से दूरी बना ली और आखिर में पटना साहिब सीट से उनका टिकट भी काट दिया गया। बार-बार सिर्फ पटना साहिब से ही लड़ने की बात करने वाले शत्रुघ्न अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। पार्टी ने उन्हें पटना साहिब से टिकट भी दे दिया है।

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